नफरत से सिचा है तुमने खुद को
प्रेम की बीज लगा कर के देखो
कभी दिलो को दिलो से मिला कर के देखो I
नफरत की आग में बिखरी दुनिया को
प्रेम की धागे से मिला कर के देखो
कभी प्रेम की धरा बहा कर के देखो I
ईर्ष्या के अंधकार को छोड़
सूरज सा प्रकाश फैला कर के देखो
कभी दिलो को दिलो से मिला कर के देखो I
मत बाटो वतन को भेदभाव की आग में
गले से गले को मिला कर के देखो
कभी प्रेम की धरा बहा कर के देखो I
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Brilliant poem
BEAUTIFUL POEM.
Bahut aacha