लड़का हू कमाना है
छोड़ चला घर का प्यार, निकल पड़ा नंगे पाँव
न कोई ठौर न ठिकाना है, बस आगे बढ़ते जाना है
मन में इरादा है, कुछ कर के दिखाना है
लड़का हू कमाना है।
माँ का प्यार दिल में लिए, ना सोचे ना समझे
थैला लेकर निकल पड़ा, शहर की ओर चल पड़ा
ना दोस्त ना कोई साथी है, बस एक ही कहानी है
लड़का हू कमाना है।
बुने है जो ख्वाब, शहर लेकर आया हू
छोड़कर गांव का प्यार, नयी सड़क आया हू
तमन्ना दिल में है अब, नयी पहचान बनाना है
मुझे भी अपने पैरो पर खड़े होकर दिखाना है
एक दीप जलाना है, मन का विश्वास जगाना है
लड़का हू कमाना है।
सपने जो संजोये, पूरा करना है
थकना नहीं, रुकना है, हर कोशिश करना है
पसीने की स्याही से, नयी कहानी लिखना है
असफलता से सफलता की नयी उम्मीद जगाना है
हवा का रुख बदलना है, नया सवेरा लाना है
लड़का हू कमाना है ।
शम्भू कुमार के कलम से..